सूर्य नमस्कार क्यो करे
सूर्य नस्कार सभी आसनो से अच्छा माना जाता है हमेसा सभी आसनो की शुरूवात सूर्य नमस्कार से की जाती है इस आसन को सूर्य नमस्कार इसलिये कहते है क्योकि यह सूर्योदय के समय सूर्य की दिशा मे मुख करके किया जाता है इस आसन से हमारा शरीर अन्य आसनो के लिये तैयार हो जाता है सूर्य नमस्कार के सभी आसनो को करने से हमारा शरीर इतना लचीला हो जाता है कि अन्य आसनो को बडी ही आसानी से कर सकते है
सूर्य नमस्कार की बारह स्थितियॉ होती है
सूर्य नमस्कार |
स्थितियॉ
1- इस स्थिति मे हम अपने शरीर को इकदम सीधा करके एडियो को जोडकर ओर पंजो को खुला रखते है तथा अपने शरीर क बजन दोनो पैरो पर समान रखते है व दोनो हाथो की हथेलियो को जोडकर अपनी छाती के बीचोबीच केंद्रित करते है ओर फिर सूर्य भगवान को प्रणाम करते हुये अपनी सांस बाहर छोडते है
2- इस स्थिति मे हम सांस को लेते हुये तथा दोनो हाथो को सिर से ऊपर ले जाते हुये शरीर के ऊपरी हिस्से को पीछे की तरफ मोडते है कूल्हे को आगे कि ओर व अपनी टांगे सीधी रखते है
3- सांस को बाहर निकालते हुये आगे की ओर झुके, हाथो का दबाव जमीन पर रखे.अपनी हथेलियो को दोनो पंजो के बराबर रखे , जरूरत पड्ने पर अपने घुटनो को हल्का मोड भी सकते है
4- इस स्थिति मे सांस को लेते हुये एक पैर को पीछे की तरफ खींच के ले जाये ,तथा घुटने को जमीन पर रखकर अपने शरीर को मुह ऊपर करते हुये पीछे की तरफ मोडे
5- इस स्थिति मे सांस को रोककर अपना दूसरा पैर भी पीछे ले जाये, ओर शरीर क पूरा भार अपनी हथेलियो व पंजो पर रखे. सिर व समस्त शरीर एक सीधी रेखा मे रख कर , ऑखो को दोनो हाथो के बीच केंद्रित करे.
6- अब अपनी सांस को बाहर निकालते हुये अपने घुटनो को जमीन पर रख दे. फिर छाती को फिर अपने सिर को जमीन पर टिका दे. इस स्थिति मे आपके कूल्हे ऊपर की ओर व पैर के पंजे अंदर की ओर मुडे होने चाहिये.
7- अब सांस को लेते हुये कूल्हे को नीची ले जाये ,ओर पंजो को मिलाकर पीछे की तरफ कर दे. ओर कंधो को नीचे करते हुये अपने शरीर को पीछे की तरफ मोडे. अब आपकी नजरे ऊपर की तरफ पीछे मुडी होनी चाहिये
8- सांस निकालते हुये पंजो को अंदर की ओर दबाये ओर कूल्हे ऊपर उठाने की कोशिस करे. अब अपनी कोहनी व सिर को नीचे झुकाते हुये ,कंधे पीछे ले जाये
9- इस अवस्था मे सांस को लेते हुये कोई एक पैर दोनो हाथो के बीच मे रखे, ओर दूसरे पैर का पंजा पीछे की तरफ फैला दे व घुटना जमीन पर रख दे. अब सामने की तरफ देखते हुये सूर्य देव को नमस्कार करे
10- सांस को निकालते हुये अपने दूसरे पैर को आगे कि ओर ले जाये ओर कमर से सिर तक का पूरा भाग नीचे की ओर झुकाये, हथेलियो से जमीन पर दबाब लगाये
11- अब सांस को लेते हुये दोनो हाथो को जोड कर सिर के पीछे ले जाये व शरीर को धनुश की भाति पीछे की ओर मोड ले.
12- सांस को बाहर निकालते हुये अब सावधान की स्थिति मे अ जाये, आपके दोनो हाथ पैरो के समांतर रहे तथा पंजे मिले हुये
धन्यवाद
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